विविधता में एकता हमारे देश की विशेषता है। साथ ही विकास और शक्ति की परिचायक भी है। मानवीय एवं प्राकृतिकविविधताएँ होने पर भी उसमें अभिन्न एकसूत्रता है। विभिन्न दृष्टांतों द्वारा इस काव्य में भारत की भव्यता एवं दिलाता का गान किया गया है।
हिन्द देश के निवासी
हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं,
रंग, रूप, वेश, भाषा चाहे अनेक हैं।
बेला, गुलाब, जूही, चंपा, चमेली,
प्यारे-प्यारे फूल गूंथे, माला में एक हैं।
कोयल की कूक न्यारी, पपीहे की टेर प्यारी,
गा रही तराना बुलबुल, राग मगर एक है।
गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी
जाके मिल गई सागर में हुई सब एक हैं।
धर्म हैं अनेक जिनका, सार वही है,
पंथ हैं निराले, सबकी मन्जिल तो एक है।


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